वर्तमान में गैर संचारी रोग (एन.सी.डी.) वैश्विक मौतों के कुल 60 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं जो कि विश्व की सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का मुख्यकारण है। एन.सी.डी., आर्थिक और सामाजिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव के लिये जिम्मेदार है, जिसके कारण समाज में रूग्णता दर एवं मृत्यु दर अधिक होती है, जिसके फलस्वरूप मानव उत्पादकता एवं स्वास्थ्य देखभाल व्यय पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत में महिलाओं में एन.सी.डी. की तरह गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और स्तन कैंसर का विभिन्न रोगों एवं मृत्यु में अधिकतम योगदान है। भारत में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के कारण हर 8 मिनट में एक महिला की मृत्यु होती है जो कि एक चैंकाने वाली रिपोर्ट है, जबकि स्तन कैंसर भारतीय शहरों की महिलाओं में कुल कैंसर के मरीजों का एक चैथाई भाग है। महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा की जरूरतों के प्रति संवेदनशील, उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में सभी प्रमुख गैर संचारी रोगों के लिए महिलाओं की जांच एवं उपचार के लिए समर्पित पहल के रूप में वर्ष 2015 में सम्पूर्णा परियोजना का शुभारंभ किया।
संपूर्णा परियोजना का शुभारम्भ राष्ट्रीय कार्यक्रम की छतरी के अन्तर्गत कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग एवं स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के बचाव हेतु महिलाओं में गैर संचारी रोगों (एनसीडी) के
निवारण के दृष्टिकोण से किया गया। परियोजना का उद्देश्य केवल रोगों के लिए स्क्रीनिंग ही नहीं है अपितु इसके साथ साथ यह महिलाओं की जीवन शैली में सुधार एवं गर्भाशय ग्रीवा और स्तन कैंसर सहित एनसीडी के रोकथाम के लिए भी महत्वपूर्ण है। गृहिणी परिवार की धुरी होती है, अतः उन्हें शिक्षित करने एवं उनका स्वास्थ्य ठीक रखने से निश्चित रूप से परिवार के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। इस प्रकार समुदाय के नजरिए में उपचारात्मक स्वास्थ्य देखभाल के सापेक्ष बचाव हेतु आवश्यक सावधानी बरतने जैसा व्यवहार परिवर्तन भी होगा।
परियोजना का शुभारम्भ सर्वप्रथम पाँच जनपदों में पायलेट के रूप में अवधारणा को सिद्ध करने एवं उनके परिणामों के आधार पर बड़े पैमाने पर लागू किये जाने के उद्देेश्य से किया गया। वर्तमान में 23 अतिरिक्त जनपदों में इस परियोजना को विस्तार दिया गया है। इस परियोजना के अन्तर्गत श्सम्पूर्णा क्लीनिकश् जिला महिला अस्पताल एवं चयनित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्थापित की गयी है। यहां 30-60 वर्ष की महिलाओं की स्क्रीनिंग, मधुमेह प्रबंधन, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और स्तन कैंसर की जांच एवं प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गयी है। यह क्लीनिक प्रशिक्षित महिलाओं की टीम द्वारा अत्यंत गोपनीयता और अपनेपन की सेवा के साथ संचालित की जा रही हंै।
परियोजना के अन्र्तगत रोगों की जांच एवं प्रबन्धन की दृष्टि से विभिन्न स्वास्थ्य कर्मियों/चिकित्सा अधिकारियों की क्षमता संवर्धन हेतु मेडिकल कालेजों में प्रशिक्षण स्थल स्थापित किए गए हैं।
परियोजना के सुचारू संचालन हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेन्सी (सिफ्सा) एवं पाॅपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पी.एस.आई.) के मध्य एक एम.ओ.यू. पर हस्तक्षर किये गये हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा आर्थिक सहयोग, पाॅपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पी.एस.आई.) द्वारा तकनीकी सहयोग एवं राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेन्सी (सिफ्सा) द्वारा परियोजना का क्रियान्वयन किया जायेगा।
संपूर्णा क्लीनिक के माध्यम से करीब 15,000 से अधिक महिलाओं ने अभी तक विभिन्न गैर संचारी रोगों के लिए स्क्रीनिंग सेवाओं का लाभ प्राप्त किया है।
हृदय रोग, हाईपरटेन्शन और मधुमेह में मोटापा एक उच्च जोखिम कारक है। संपूर्णा क्लीनिक में मोटापे को बाॅडी मास इंडेक्स के माध्यम से नापा जाता है। वे सभी महिलाए,ं जो मोटापे और अधिक वजन के मापदंड के अन्तर्गत आती हैं, उन्हें जीवन शैली प्रबंधन यानि पौष्टिक और कम वसा वाले आहार और नियमित व्यायाम के लिए सलाह दी जाती है।
सभी लाभार्थियों का ब्लड प्रेशर लिया जाता है तकि हाईपरटेन्शन एवं प्री हाईपरटेन्शन के बारे मे पता लगाया जा सके। पूर्व उच्च रक्तचाप से ग्रस्त मरीजों को जीवन शैली में सुधार के लिए सलाह दी जाती है ताकि इस बीमारी को रोका जा सके। यदि परामर्श प्रभावी होता है तो इन मरीजों को 3 माह बाद फिर से जांच के लिए बुलाया जाता है। यदि मरीज प्रीहाईपरटेन्शन की रेंज में रहता है तो उसको फिर सलाह दी जाती है और यदि मरीज उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हो जाता है तो इलाज के लिए संदर्भित कर दिया जाता है।
मधुमेह रोग के लिए, सभी मरीजों का रैंडम रक्त शर्करा मापा जाता है और यदि 140/एम.जी./डी.एल. से अधिक पाया जाता है तो फास्टिंग एव पी.पी. रक्त शर्करा की जांच कर प्री डायबटिक या डायबटिक मरीज की पहचान की जाती है। प्री-डायबटिक मामलों में जीवन शैली बदलने के लिए सलाह दी जाती है तथा तीन माह बाद पुनः बुलाया जाता है, ताकि सलाह का प्रभाव देखा जा सके। यदि मरीज सलाह का पालन नहीं करता है तो फिर सलाह दी जाती है। चिन्हित मरीजों को इलाज के लिए एन.सी.डी. क्लीनिक में रेफर किया जाता है।
हृदय रोगों के लिए मोटापा, हाईपरटेन्शन एवं मधुमेह जोखिम के कारक है अतः इनकी रोकथाम अति महत्वपूर्ण है।
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के कुल 1450 जांच मामलों में 2.8 प्रतिशत धनात्मक पाए गए है, जिसका मतलब है कि गर्भाशय ग्रीवा के घाव भविष्य में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के रूप में परिवर्तित हो सकते है। इन मरीजों का उपचार क्रायो चिकित्सा विधि से किया जाता है या अग्रिम चिकित्सा हेतु मेडिकल कालेज में रेफर कर दिया जाता है।
एनसीडी को रोकने और इलाज के लिए इससे पूर्व कभी भी राज्य की क्षमता को इस प्रकार सुदृढ़ नही किया गया है। वर्ष 2015-16 में माँ और बच्चे के विशेष स्वास्थ्य देखभाल का वर्ष मनाने में संपूर्णा क्लीनिक परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक अनूठी पहल है, जिसमें महिलाओं को अपने स्वास्थ्य की देखभाल के अधिकार के बारे में जागरूक करने के साथ स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न गैर संचारी रोगो की जांच, उपचार एवं संन्दर्भन प्रबन्धन के लिए सुदृढ़ किया गया है।
Empower women to become aware of their health care needs and create opportunities to access preventive health care services.
Motivate women to seek knowledge about their own health care needs, to provide them access to screening services for Non Communicable Diseases, appropriate counseling and management, so that they can get screened before occurrence of diseases. This will benefit not only women but also families and community at large for achieving health, thereby reducing expenditure on health care.