एम-सेहत - एक नया सवेरा

एम-सेहत एक प्रीलोडेड मोबाइल एैप है जो लाभार्थी आधारित अनुसरण में मातृ एवं शिशु से सम्बन्धित आंकडों को वास्तविक समय मे संकलित करने में सहयोग प्रदान करता है। यह गृह भ्रमण के दौरान क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकत्र्ताओं के द्वारा परामर्श एवं जच्चा बच्चा की देख-रेख को प्रभावी तरीके से निष्पादित एवं सृदृढ़ करने का कार्य भी करता है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में समाज का पहला संपर्क अनिवार्य रूप से क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकत्र्ताओं से होता है। ये समुदाय एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के मध्य एक कड़ी का कार्य करते हैं तथा जीवन रक्षक स्वास्थ्य प्रणाली को अपनाने हेतु समाज को रजामंद करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। उत्तर प्रदेश में लगभग 23,000 ए.एन.एम़. तथा 1,50,000 से अधिक आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता) हैं, जो कि प्रजनन, स्वास्थ्य, मातृ, नवजात शिशु, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य (आर.एम.एन.सी.एच.ए) की सेवाओं में सुधार लाने एवं ग्रामीण अंचलों तक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावशाली एवं इनके परिणामों में बेहतर सुधार के लिए अनुभव किया गया कि क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जटिल एवं ढोने में समस्या वाले बज़नी मैनुअल, रजिस्टर एवं अन्य प्रपत्रों से मुक्त किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार एम.सेहत मोबाइल एप्लीकेशन द्वारा इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सशक्त कर प्रभावी योजना, प्रबंधन तथा दिन-प्रतिदिन के कार्य के निष्पादन एवं बेहतर प्रदर्शन करने में सशक्त किया गया है। एम.सेहत का लक्ष्य क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का ज्ञानवर्धन करते हुए सशक्त कर प्रदेश में मातृ, नवजात, शिशु मृत्यु दर एवं कुल प्रजनन दर मे तेजी से कमी लाना है।

एम. सेहत मोबाइल एैप में अलग-अलग स्वास्थ्य कार्यकत्ताओं को अलग अलग एप्लीकेशन की सुविधा प्रदान की गयी है। जैसे कि आशा हेतु अलग एप्लीकेशन तथा ए.एन.एम. के लिए अलग एप्लीकेशन तथा तीसरे एप्लीकेशन का उपयोग ब्लाक, जिला एवं राज्य स्तर पर कार्यक्रम से जुडे़ प्रबन्धकों द्वारा अपने टेबलेट अथवा कम्पयूटर पर प्रगति को देखने हेतु किया जाता है। एक चैथी प्रकार के एप में लाभार्थी के पंजीकृत मोबाइल पर एस.एम.एस. द्वारा अलर्ट एवं स्वास्थ्य सेवाओं/तिथियों को याद दिलाने हेतु उपयोग किया जा रहा है। यह गतिविधि प्रदेश के चयनित पांच जनपदों- बरेली, कन्नौज, मिर्जापुर, सीतापुर एवं फै़जाबाद में शुरू की गयी है, जिसके अन्तर्गत 10000 आशा, 2000 ए.एन.एम. तथा 300 चिकित्सा अधिकारी/प्रभारी चिकित्सा अधिकारी सम्मलित किए गए हंै।

क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के विचार:
सुधावती: आशा संगिनी, ग्रामः रमपुरा, विकास खण्डः छिबरामऊ, जिलाः कन्नौज

सुधावती ने हाईस्कूल ही पास किया था तथा केवल 17 बसंत ही देखे थे तभी उसका विवाह कर दिया गया। अतः कम उम्र में विवाह के दबाव ने नवयुवती के शिक्षा ग्रहण करने के सारे सपनो तथा उसकी ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा को कुचल दिया। लेकिन सुधावती की शिक्षा के प्रति दृढ़ संकल्पता एवं प्रतिबद्धता से प्रभावित होकर उसके पति ने उसकी शिक्षा जारी रखने का समर्थन किया और सुधावती ने सभी परिवारिक दबावों के बीच एम.काम. की डिग्री उत्तीर्ण की। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद ससुराल वालों ने सुधावती को नौकरी करने के लिए समर्थन नही दिया। अतः सुधावती ने अपने पारवारिक कर्तव्यों को निभाने के लिए नौकरी को तिलांजलि दे दी।

वर्ष 2005 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत ग्राम में आशा के चयन की प्रक्रिया शुरू की गयी, तो उसकी इच्छा पुनः जाग उठी, लेकिन उसके परिवार वालों ने चयन प्रक्रिया में आवेदन करने की अनुमति प्रदान नहीं की। वर्ष 2007 में जब उसके गांव की आशा ने त्यागपत्र दिया तब सुधावती ने अपने ग्राम के ग्राम प्रधान से सम्पर्क किया एवं प्रधान ने उसकी योग्यता के आधार पर आशा के पद पर चयन हेतु सिफारिश की। आज सुधा 41 वर्ष की है तथा उसकी कड़ी मेहनत और लगन को देखते हुए उसे ग्राम रमपुरा के उपकेन्द्र खोजीपुर के अन्तर्गत आशा संगिनी के रूप में चयनित किया गया है। सुधावती के कुशल पर्यवेक्षण और सक्षम मागदर्शन में 15 आशाएं कार्यरत हंै।

सुधावती के जीवन में पुनः एक नयी शुरूआत तब हुई, जब उसको एम-सेहत, प्रीलोडेड मोबाइल एैप उपलब्ध कराया गया, जिसके माध्यम से लाभार्थी आधारित, वास्तविक समय में मातृ एवं शिशु आंकडों का संकलन एवं अनुसरण में मदद मिली एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान परामर्श के प्रयासों को मजबूत बनाने में मदद के साथ मैनुअल, रजिस्टर और अन्य सामग्री को ले जाने की जटिलता एवं समस्या का भी निदान हुआ। सुधावती के जीवन में पुनः एक नयी शुरूआत तब हुई, जब उसको एम-सेहत, प्रीलोडेड मोबाइल एैप उपलब्ध कराया गया, जिसके माध्यम से लाभार्थी आधारित, वास्तविक समय में मातृ एवं शिशु आंकडों का संकलन एवं अनुसरण में मदद मिली एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान परामर्श के प्रयासों को मजबूत बनाने में मदद के साथ मैनुअल, रजिस्टर और अन्य सामग्री को ले जाने की जटिलता एवं समस्या का भी निदान हुआ।

सुधावती मुस्कुराते हुए कहती है अब सब कुछ कितना आसान हो गया है! विभिन्न ग्रामों में भ्रमण करना आसान हो गया है तथा सभी रजिस्टर, मैनुअल तथा अन्य प्रपत्र को नही ले जाना पडता है जो पहले परेशान करता था। ग्राम के किसी भी परिवार द्वारा स्वास्थ्य से सम्बन्धित सूचना मांगे जाने पर हम उन्हें अपने मोबाइल फोन के माध्यम से उपलबध करा देते है, जिससे प्रभावित हो कर वह हमें हमारी तकनीकी क्षमता एवं निपुणता के लिए महत्व भी दे रहे हैं।

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