चलो गांव की ओर, लेकर अपना हौसला

आई.ई.सी./बी.सी.सी. अभियान -उत्तर प्रदेश के ग्रामीण वासियों में व्यवहार परिवर्तन की पहल

उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014-15 में एक राज्यव्यापी आई.ई.सी./बी.सी.सी. अभियान ''चलो गांव की ओर, लेकर अपना हौसला'' चलाया, जिसके माध्यम से प्रदेश की ग्रामीण जनता को आर.एम.एन.सी.एच.+ए स्वास्थ्य मुद्दों सम्बन्धी व्यवहार जागरूकता को बढ़ावा दिया गया। अभियान की अपार सफलता तथा कार्यक्रम की पुनरावृत्ति की आवश्यकता को देखते हुए वर्ष 2015-16 में अभियान पुनः आरम्भ किया गया।

मनोरंजन का उद्देश्य दर्शकों को प्रेरित करना तथा उनकी भावनाओं के दृष्टिगत उन्हें बांधना है जबकि शिक्षा का उद्देश्य जानकारी एवं ज्ञान में वृद्धि करना है। अभियान ''चलो गांव की ओर, लेकर अपना हौसला'' का निर्माण एन.एच.एम. की योजनायें-प्रजनन, मातृ स्वास्थ्य, पोषण, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य (आर.एम.एन.सी.एच.ए) से सम्बन्धित मुद्दों को ध्यान में रखते हुए मनोरंजन एवं शिक्षा को सम्मिलित करके एक सुदृढ़ रणनीति के तहत सिफ्सा द्वारा किया गया है।

प्रदेश सरकार द्वारा 2014-15 में शुरू किये गए इस आयोजन को इसकी सफलता, दर्शकों की लगातार मांग और जरूरत को देखते हुए, दिनांक 04 दिसंबर 2015 को श्रीमती डिंपल यादव, सांसद कन्नौज द्वारा पुनः लाॅन्च किया गया। अभियान में पूरे प्रदेश को आर.एम.एन.सी.एच.ए के समस्त स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों से आच्छादित किया गया तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्र्तगत आशा की भूमिका पर भी विशेष रूप से जोर दिया गया।

अभियान के तहत आई.ई.सी. की रेडियो नाटक श्रंृखला और रेडियों स्पाट के घटक लिए गए जो ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों के श्रोताओं हेतु थे तथा ग्रामीण क्षेत्र के दर्शकों के लिए लोक विधाओं का प्रयोग किया गया। ''सुनहरे सपने सँवरती राहें'' नाम से रेडियो नाटक श्रंृखला के 26 एपीसोड एवं आॅडियों स्पाॅट का आकाशवाणी से प्रसारण किया गया, जिनमें मातृ स्वास्थ्य, विवाह की आयु, अन्तराल विधि तथा एन.एस.वी. बिन्दुओं को समाहित करते हुए सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया।

एक अच्छा नाटक समाज में वांछित परिवर्तन ला सकता है तथा इससे सम्बन्धित चर्चा-परिचर्चा और स्वयं अपने निर्णय करने के लिए दर्शकों को प्रोत्साहित कर सकता है। इस आशय के साथ, सिफ्सा ने 26 एपीसोड की ''सुनहरे सपने सँवरती राहें'' नाम से रेडियो नाटक श्रंृखला का निर्माण किया, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की विभिन्न योजनाओं तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत आशाओं की भूमिका का समावेश किया गया। यह मान्यता है कि रेडियो एक कम लागत वाला मास मीडिया चैनल है, जो लक्षित आबादी के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कुशलता से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी आसानी से पहुँचा जा सकता है। अतः रेडियो का उपयोग सूचना, शिक्षा और संचार के माध्यम से करके राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत उपलब्ध करायी जा रही सेवाओं को सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए योजना बनायी गयी। आॅडियो अभियान केवल लक्षित दर्शकों के सुनने की आदत को बढ़ावा ही नहीं देता, बल्कि यह आशाओं को सीखने, उनकी क्षमताओं को सुद्दढ़ बनाने, परामर्श कौशल को मजबूत करने एवं उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी मददगार है।

''सुनहरे सपने सँवरती राहे'' घारावाहिक नाटक प्रत्येक बुधवार को पूर्वान्ह 1.15 बजे से 1.45 बजे तक दिसम्बर से जून 2016 तक आकाशवाणी के सभी 12 प्राईमरी चैनेलों से प्रसारित किया गया। रेडियो नाटक श्रंखला में स्वास्थ्य संदेशों को दिलचस्प कहानी के रूप में खूबसूरती से बुना गया। प्रोग्राम को रोचक बनाने एवं श्रोताओं की रूचि बढ़ाने के लिए, पूरे प्रदेश में 525 श्रोता संघों की स्थापना चयनित आशाओं द्वारा ग्राम स्तर पर की गयी है। चयनित आशाओं को एक रेडियो ट्रांजिस्टर एवं उसकी बैटरी उपलब्ध करायी गयी, ताकि श्रोता संघ के श्रोता समूह को प्रोग्राम प्रायोजित होने पर सुनाया जा सके। इसके अलावा प्रतिभागियों के बैठने हेतु दरी की व्यवस्था एवं बैटरी खराब होने पर बदलने हेतु रू0 500/- प्रत्येक श्रोता संघ को उपलब्ध कराया गया। प्रोग्राम में प्रश्नोत्तरी और पुरस्कार को भी शामिल किया गया। निरंतर सुनने की आदत को बढ़ावा देने के लिए, प्रत्येक एपिसोड में यह बताया जाता था कि प्रश्नोत्तरी सवाल किसी भी आगामी एपिसोड में पूछा जायेगा और सही जवाब देने वाले को एक आकर्षक पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।

लक्षित समूह के सदस्यों द्वारा जवाब भेजने हेतु सिफ्सा ने लखनऊ जी.पी.ओ. में एक पोस्ट बाॅक्स निर्धारित किया। इस पोस्ट बाॅक्स की संख्या नाटक श्रंखला के हर एपिसोड के दौरान घोषित की जाती थी। सभी श्रोता समूह एवं 26 एपिसोड की संपूर्ण अवधि के दौरान सही ढंग से जवाब देने वाले 10 विजेताओं का चयन लाॅटरी द्वारा किया गया। इसके अलावा आशाओं द्वारा अच्छे कार्य जैसे, प्रश्नोत्तरी में अपने श्रोता समूह की अधिक से अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाली 20 आशाऐं, जिनके समूह ने अधिक से अधिक पत्र भेजे, को सम्मानित करने के लिए चयनित किया गया। दो प्रश्नोत्तरी सवालों को 9 वें और 20 वें एपिसोड के प्रसारण में किया गया। विजेताओं के नामों की घोषणा 14 वें और 25 वें एपिसोड में की गयी। सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले श्रोता संघ की 20 आशाओं की घोषणा 25 वें एपिसोड में की गयी।

आॅडियो अभियान, 'सुनहरे सपने सँवरती राहें' के सम्बन्ध में लक्षित श्रोताओं, आम जनता और आशाओं द्वारा प्रदेश भर से सैकड़ों पत्रों के माध्यम से भारी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। रेडियो नाटक श्रंखला के पात्रों ने श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा और वे नाटक के पात्रों को स्वयं के जीवन से जोड़ने लगे तथा उन्हें रेडियो नाटक की कहानी अपने जीवन की कहानी की तरह लगने लगी। नाटक की कहानी ने न केवल उत्कृष्ट जागरूकता और ज्ञान प्रदान किया, बल्कि लक्षित श्रोताओं को स्वास्थ्य सम्बन्धित व्यवहार परिवर्तन हेतु जागरूक करने के लिए प्रेरित करने में भी सफल रही। नाटक में आशा की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया और नाटक में आशा को जगतगंज गांव में सम्मानित किया गया, जिससे आशाओं के आत्म सम्मान को अत्यधिक बढ़ावा मिला।

शुरूआती सफलता और जनता की बेहद मांग, जो उनके हजारों पत्रों एवं श्रोता संघ के पत्राचार से प्रदर्शित हुई, के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि स्वास्थ्य सम्बन्धी नयी जानकारियों एवं समस्याओं का समावेश करते हुए रेडियो धारावाहिक के 26 नये एपिसोड पुनः तैयार किये जायें।

हापुड़ जिले की एक किशोरी सुश्री महिमा गुप्ता जो कि रेडियो ड्रामा 'सुनहरे सपने सँवरती राहें' की नियमित श्रोता है, ने किशोर-किशोरियों से सम्बन्धित एपिसोड सुनने के बाद, अपनी छोटी सी कविता द्वारा समाज में प्रचलित लिंग भेद के मुद्दे को रेखांकित किया, जिससे इस कार्यक्रम की सफलता परिलक्षित होती है।



''कहती बेटी बाॅह पसार, मुझे चाहिए प्यार-दुलार ।
बेटी की अनदेखी, क्यों, करता है निष्ठुर संसार ।।
गर्भ से लेकर यौवन तक लटक रही मुझ पर तलवार ।
किन्तु मेरे स्वास्थ्य और शरीर का, अब मिलता स्थायी उपचार ।।

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